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Saturday, March 27, 2010

Who is the greatest Daanveer

ये जो कहानी मै लिख रहा हूँ ये किसी पुराण इत्यादि में शायद न हो वैसे मैंने, यह कहानी अपने आदरणीय दादाजी के मुख से सुनी है ! ये कहानी दानवीर कर्ण की दानवीरता की है !

एक बार की बात है की अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई की धरती पर सबसे बड़ा दानी कौन है, अर्जुन का मानना था की धर्मराज युधीष्ठिर सबसे बड़े दानी हैं लेकिन श्रीकृष्ण इस बात से सहमत नही थे उनका कहनाम था की धरती पर कर्ण सबसे बड़ा दानी है इसी बात को लेकर दोनों लोग में बहस छिडी थी ! अंततः यह निर्णय हुआ की युधीष्टिर और कर्ण दोनों की परीक्षा ली जायेगी अपने आप दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ! यह निर्णय लेकर दोनों ने अपना रूप बदल लिया और श्रीकृष्ण ने माया से बारिश ला दिया और उस घनघोर बारिश में युधीष्ठिर के पास पहुंचे युधीष्ठिर ने उनका खूब आदर सत्कार किया और आने का कारण पूछा तब रूप बदले हुए श्रीकृष्ण बोले 'हे राजन हमें सुखी चंदन की लकड़ी चाहिए युधीष्ठिर बोले, हे बिप्रो इस भयंकर बारिश में सुखी चंदन की लकडी कहाँ मिलेगी तब श्रीकृष्ण ने कहा अर्थात हमें यहाँ सुखी चंदन की लकडी नही मिलेगी युधीष्ठिर ने हाँ में सर झुका लिया तब श्रीकृष्ण और अर्जुन वहां से चल दिए रास्ते में श्रीकृष्ण ने कहा अर्जुन धर्मराज ने तो खाली हाथ लौटा दिया अर्जुन बोले ऐसी बारिश में हमें सुखी चंदन की लकडी कोई नही दे पायेगा कर्ण भी नही श्रीकृष्ण ने कहा चलो देखते हैं फिर वो लोग कर्ण के पास पहुंचे कर्ण ने भी उनका बहुत आदर सत्कार किया और बोला बोलिए ये सूतपुत्र राधेय आप लोगों की क्या सेवा कर सकता है ! तब रूप बदले हुए अर्जुन ने कहा. हे वत्स हमें सुखी चंदन की लकडी चाहिए तो कर्ण ने कहा बाहर तो बारिश हो रही है मगर कोई बात नही इतना कहकर उसने तुंरत अपना धनुष बाण उठाया और अपने घर के दरवाजे काटकर उनको दे दिया उसके घर के दरवाजे चंदन के थे ! कर्ण की बुध्दी और दानवीरता देखकर अर्जुन आश्चर्य में पड़ गए और तब दोनों अपने असली रूप में आ गए कर्ण ने जब श्रीकृष्ण को देखा तो आश्चर्य में पड़ गया और बोला 'केशव आप ' तब श्रीकृष्ण ने अपनी और अर्जुन के विवाद की सारी बात बताई ये सब सुनकर कर्ण बोला जो हुआ अच्छा हुआ इसी कारण से आपने मेरे घर पधारकर मुझे दर्शन दिए इसके बाद श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा अब बताओ पार्थ सबसे बड़ा दानी कौन है चंदन के दरवाजे तो युधीष्ठिर के घर के भी हैं अर्जुन के पास कहने के लिए कुछ नही था तो उन्होंने अपना सर झुका लिया फिर कर्ण को यह कहकर की इतिहास में तुम अपनी दानवीरता के लिए जाने जाओगे श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ वहां से चल पड़े !

Written by
Piyush Kumar Dwivedi
A 10th std student from Noida and A great karna fan too
Click here to go the orginal link

P.S This is sandal wood giving story of karna, Then we always encourage the members to post in this blog , if you want any help in posting here you can contact me at gandherva@yahoo.co.in

2 comments:

  1. The appriciation goes to Piyush kumar, you can also write some thing good about karna here ,
    cheers

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